चाह नहीं मै सुरबाला के
गहनों मे गूंथा जाऊं
चाह नहीं प्रेमी माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊं
चाह नहीं सम्राटों के
शव पर हे हरि डाला जाऊं
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूं भाग्य पर इतराऊं
मुझे तोड लेना बनमाली
उस पथ पर तुम देना फेंक
मातृभूमी पर शीश चढाने
जिस पथ जाएं वीर अनेक
---Makhan lal Chaturvedi
Wednesday, November 16, 2005
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment