Wednesday, November 16, 2005

चाह नहीं मै सुरबाला के
गहनों मे गूंथा जाऊं

चाह नहीं प्रेमी माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊं

चाह नहीं सम्राटों के
शव पर हे हरि डाला जाऊं

चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूं भाग्य पर इतराऊं

मुझे तोड लेना बनमाली
उस पथ पर तुम देना फेंक

मातृभूमी पर शीश चढाने
जिस पथ जाएं वीर अनेक

---Makhan lal Chaturvedi

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