Tuesday, November 08, 2005

हम क्यों कफन ओढ़ें जो जिंदा साँस हैं,
हम क्यों जहर पीयें कि जब तक आस है,
हौसला बुलंद है जब तक राह में हैं,
दिल में पुखता सा कोई विश्वास है...

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