Friday, November 18, 2005

मुझसे दूर कहाँ जाओगे उर्फ जिजिविषा

पाताल तो पाताल है
अन्तरिक्ष में भी मुझे पाओगे
मैं गुस्र्त्वआकर्षण के सिद्धांत के विपरीत भी
सिद्धांत हूँ ।
मुझसे दूर कहाँ जाओगे

मैं जितनी तरल हूँ
उतनी ही विरल हूँ
इतनी सरल हूँ
मुझसे दूर कहाँ जाओगे
पाताल तो पाताल है
अन्तरिक्ष में भी मुझे पाओगे
मुझसे दूर कहाँ जाओगे

विरल इतनी कि सांसों में बस जाऊंगी
तरल इतनी कि रक्त बन शिराओं में घूम आऊंगी
सरल इतनी कि गहरी नींद का चेहरा बन जाऊंगी
मुझसे दूर कहाँ जाओगे

रोज सुबह दरवाजे पर दस्तक देती हूँ
मैं उम्मीद हूँ , एक दिन और जीने की
दुलारूंगी तुझे,पुकारूंगी तुझे
कभी मैं दुम हिलाऊंगी, कभी तुम हिलाओगे
मुझसे दूर कहाँ जाओगे

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